Wednesday 26 February 2020

INAW: ट्रम्प नहीं मिले केजरीवाल से , कहा इस्लामिक आतंकवाद का करेंगे मिलकर सामना...


INAW दिल्ली : ट्रम्प नहीं मिले  केजरीवाल से , कहा इस्लामिक आतंकवाद का करेंगे मिलकर सामना l

दिल्ली : भारत दौरे पर आये अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प दिल्ली तो आये पर केजरीवाल से नहीं मिले , और कड़े शब्दों में चेताबनी तक दे डाली के इस्लामिक आतंवाद की बुनियाद पर प्रहार करने की I

आखिर क्यों नहीं मिले ट्रम्प केजरीवाल से कहीं केजरीवाल का वियक्तित्व संदेहस्पद तो नहीं, ये जानने के लिये हमरी टीम के विशेषज्ञों ने किया अंदरूनी  अध्यन और सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अध्यन में केजरीवाल की आतंक समर्थक पृष्ट्भूमि का होना पाया गया I

अध्यन से प्राप्त  कुछ निम्न कारण :
 १- केजरीवाल का खालिस्तानी समर्थक आतंकवादियों से मिलाना और टेरर फण्ड लेना l
 २- दुबई जाकर इस्लामिक आतंकी संगठनों से पार्टी के लिये फण्ड लेना l
 ३- देशद्रोह के आरोपी कन्हैया कुमार का आरोप पत्र जाँच एजेंसी के बार बार मांगे जाने पर न देना l
 ४- JNU और जामिआ के राष्ट्र विरोधी ग्रुप का समर्थन करना l
 ५- कहीं बार कश्मीर के अलगाबबादी एबं पाकिस्तान समर्थक नेताओ के साथ देखा जाना l
 ६- अपने ही देश के राष्ट्रवादी संघ को अमर्यादित शब्द बोलना l
 ७- अपने ही देश को एक राष्ट्र नहीं मानना अपितु अनेक रास्त्रो का समूह मानना l
 ८- भारतीय सेना के सौर्य  पर सवाल उठा कर साबुत मांगना l

अज्ञात सूत्रों से पता चला के ट्रम्प ने वार्ता में यहाँ तक कहा के जो अपनी देश की सेना को सम्मान नहीं देता और अपने सैनिको के सौर्य  पर गर्व नहीं करता हो, उल्टा दुश्मन देश की सहयता के लिये अपने ही देश की सेना को कटघरे में खड़ा कर उनके सौर्य पर  शक कर दुशमन सेना के लिये शोक प्रकट करता   हो , ऐसे वयक्ति से न तो कोई अमेरिकी नागरिक मिलना चाहेगा और नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति स्वयं l

Thursday 2 April 2015

केजरीवाल ने तंबाकू कंपनीयों से 2000 करोड की रिसवत ली





केजरीवाल ने तंबाकू कंपनीयों से 2000 करोड की रिसवत ली
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केजरीवाल ने कल दिल्ली में तम्बाकू और गुटके पर प्रतिबन्द लगाया कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
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लेकिन आज 24 घंटे के भीतर ही पलटीमार ने पलटी मारी और प्रतिबंद हटा लिया। बीच की एक रात में ऐसा क्या हो गया जो अब ये सेहत के लिए अच्छे हो गए हैं ???
आपको क्या लगता है, रात में कितनी मोटी रक़म पहुंची होगी, गुटका कंपनियों की तरफ से ???
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हम तो जी, नई किस्म की राजनीती सिखाने आएं हैं जी।
***आख़िर में एक ज़रूरी सूचना : कृपया कल दिल्ली में कोई किसी को अप्रैल फूल न बनाये, ये दिल्ली वाले बेचारे फ्री के चक्कर में, पहले से ही 5 साल के लिए महामुर्ख बने हुए हैं।

Tuesday 31 March 2015

हमारे देश में वीमेन एम्पावरमेंट का मतलब दारू  सिगरेट पीना, एक्स्ट्रा 

मैरिटल अफेयर करना, या चीथड़े जैसे कपड़े पहनना नहीं है ।

A video by an actress named Deepika Padukone has been in circulation where she can be seen giving advice to all women.
For example -
■ A woman can have sex before marriage
■ A woman can cheat her husband.
■ A woman can love anyone temporary
■ She can choose to love a man or a woman or both
Because....
Its her body, her mind, her Choice.


जिनके खुद के देश अमेरिका में आज तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बन पायी, उस देश की एक मैगज़ीन VOGUE India Deepika Padukone को लेकर सिर्फ पीकू की टीआरपी बढ़ाने का पब्लिसिटी स्टंट करने एक फर्जी सी शार्ट फिल्म बनाकर हमारे देश को महिला सशक्तिकरण सिखाती है.


दीपिका जी शादी से पहले के आपके किस से क्या सम्बन्ध हैं, और शादी के बाद आप क्या करती हैं वो आपका निजी विषय है, लेकिन अगर आपकी निजी सोच इतनी कुत्सित है तो उसे निजी ही रखिये सार्वजानिक न करिये.
वोग मैगज़ीन अपना करोड़ो का कारोबार करने के बाद मात्र सौ गरीब महिलाओ के नाम बता दे जिन्हे वोग ने अपने ब्रांड के कपड़े या गॉगल महिला सशक्तिकरण की चैरिटी के नाम पर गिफ्ट किये होंगे, नहीं ये कैसे हो सकता है, वो तो आपके ब्रांड के हैं, ऐसा करने से आपकी ब्रांड वैल्यू ख़राब हो जाएगी,
लेकिन महिला सशक्तिकरण की आड़ लेकर आप इस देश की संस्कृति को तार तार कर दें वो चलेगा.
* सबसे पहली बात तो ये है अपनी मैगज़ीन के नाम के साथ इंडिया लगाने से आप भारतीय नहीं हो जाते,
* दूसरी बात जिन कपड़ो को आप लेटेस्ट फैशन बता अपनी मैगज़ीन में प्रमोट करते हैं वैसे कपड़ो का हम भारतीय पोछा लगाने, गाड़ी या जूतो को पोछने या जमी हुयी धूल झाड़ने में करते हैं,
* तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, ये कल्चर आपके अमेरिका का होता है जहाँ एक लड़की बिन ब्याहे तीन चार बच्चे भी पैदा कर लेती है और तीनो चारो बच्चो के पिता अलग अलग इंसान होते हैं, हम हिन्दुस्तानियो का नहीं,
* चौथी बात हमारे देश में वीमेन एम्पावरमेंट का मतलब दारू सिगरेट पीना, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करना, या चीथड़े जैसे कपड़े पहनना नहीं है, ये तुम्हारे अमेरिका का कल्चर होगा जहाँ औरतो को यूज़ एंड थ्रो प्रोडक्ट समझा जाता होगा,
जब बाकि दुनिया के लोग ठीक से पढ़ना लिखना नहीं जानते थे, तब से हमारे देश में हर कार्य में महिलाओ की सशक्त भूमिका रही है,
तब सीता माता अपने पति के लिए राजपाट छोड़ के वनवास जा चुकी थी, माता जीजा बाई ने एक शिवाजी तैयार कर दिया था, महारानी अहिल्या बाई इंदौर का राजकाज सम्हाल के समाज सेवा में लग चुकी थी, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजो के खिलाफ जंग लड़कर शहादत प्राप्त कर चुकी थी,
और आज डीआरडीओ की अध्यक्ष मिसाइल वुमन टेसी थॉमस हो या आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर चाहे एक्सिस बैंक की सीईओ शिखा शर्मा हो या कैपजेमिनी इंडिया की सीईओ अरुणा जयंती, टैफे ट्रैक्टर्स की सीईओ मल्लिका श्रीनिवासन हो या एचपी इंडिया की एमडी नीलम धवन,
चाहे ब्रिटानिया की एमडी विनीता बाली हो या आईबीएम इंडिया की एमडी वनिता नारायणन, या इंटेल इंडिया की प्रेसिडेंट कुमुद श्रीनिवासन, साइना नेहवाल हो या एमसी मैरीकॉम, पीटी उषा हो या कर्णम मल्लेश्वरी, पीवी सिंधु हो या गीता फोगाट...चाहे इस देश की कोई भी कामकाजी महिला हो या इस देश की कोई भी गृहणी, इस देश की बेटियां हर मायने में किसी भी अन्य देश की महिलाओ से ज्यादा सबल, सक्षम, संस्कारी और सशक्त हैं,
और हाँ ये वही देश है जहाँ एक बेटी के साथ बलात्कार होने पर उसके लिए न्याय मांगने पूरा का पूरा देश सड़को पर उतर आया था, जिस से ऐसे दरिंदो के मन में ऐसा घृणित कार्य न करने की भी दहशत होने लगी है,
तो कृपया हमारी सभ्यता को तार तार कर के हमें महिला सशक्तिकरण के ऐसे उल जुलूल पाठ न पढ़ाएं, अगर भारत की सशक्त महिलाओ के सिर्फ नाम ही छापना शुरू करोगे तो कई साल तक तुम्हारी मैगज़ीन में और कुछ छापने की जगह नहीं बचेगी...
धन्यवाद
Deepika Bhardwaj, an Equal Gender Rights activist has put down some thoughts on this video.
Worth reading.

Monday 23 February 2015

अन्ना अगर देशद्रोहियो के खिलाफ धरना देता तो में उसके साथ रहता , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?

Photo: क्या ये नियम किसान विरोधी है ?

अन्ना जी ,
किसानों के हितों से पटे पड़े नए भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी कहकर अपनी विश्वसनीयता मटियामेट मत कीजिये , या फिर इन बिन्दुओं को गलत सिद्ध कीजिये :-
1. क्या ये गलत है की नए कानून में किसानों को बाजार भाव से चार गुनी कीमत दी 
    जाएगी जमीनों की ?
2. क्या ये गलत है की उपजाऊ जमीन अधिग्रहित करने की या नहीं करने की या 
    उसकी सीमा तय करने की पूरी छूट राज्यों को दी गयी है ?
3. अधिग्रहित करने से पहले किसानों और ज़मीन मालिकों पर पड़ने वाले 
    सामाजिक , पारिवारिक प्रभाव का विश्लेषण भी किया जायेगा , इसके लिए 
    पंचायत के सदस्यों , प्रबुद्ध नागरिकों , विशेषज्ञों , मनोवैज्ञानिकों और समाज 
    सेवकों की टीम बनायीं जाएगी और वे लोग तय करेंगे की यहाँ की ज़मीन 
    अधिग्रहित करना रहवासियों के लिए फायदेमंद है या नहीं , क्या ये नियम 
     किसान विरोधी है ?
4. एक मुश्त ज़मीने अधिग्रहित करने से पहले 80 % किसानों की सहमति ज़रूरी है ,   क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
5. ज़मीन मालिक के अलावा उस पर निर्भर दूसरे लोग भी मुआवजे के हक़दार होंगें ,   क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
6. पूरा पैसा मिलने के बाद ही ज़मीन से विस्थापन होगा , क्या ये नियम किसान 
    विरोधी है ?
7. विवाद सुलझाने के लिए एक समिति गठित होगी जिसे प्रोजेक्ट के शुरू होने से 
    पहले सारे विवाद निपटाने होंगे , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
=+==+==+==+==+===============
अब बात आती है मोदी सरकार के अध्यादेश की जिसमे उन्होंने तीन विषयों पर सहमती वाले नियम में ढील दी है और ये विषय हैं :-
1. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के हथियारों के उद्योग 
2. ग्रामीण विद्युतीकरण के प्रोजेक्ट 
3. बड़े पैमाने पर गरीबों के लिए सस्ते घर बनाने वाले प्रोजेक्ट
   इनमे से कौन सा विषय किसान विरोधी है ? अगर किसी को ऐसा लगता भी है    
   तो क्या किसान देश और उसके विकास से ऊपर हैं ? आज देश के लोगों की गाढ़ी 
   कमाई विदेशों से हथियार मंगवाने में खर्च होती है , कल हम भारत में ही 
   हथियार बनाना चाहेंगे और कोई विदेशी चंदे पर पलने वाला देशद्रोही युगपुरुष  
   पच्चीस किसानों को बहकाकर धरने पर बैठ गया तो देश का क्या होगा ? क्या 
   देश के विकास में बाधक बन सकने वाले और विदेशी शक्तियों के दुरूपयोग कर 
   सकने वाले नियम ढीले करना किसान विरोधी है ?
   माफ़ कीजिये अन्ना जी , कभी डेम के सामने कभी न्यूक्लियर प्लांट के सामने 
   भारत विरोधी ताकतों के इशारों पर होने वाले ये धरने प्रदर्शन , चंद लोगों की 
   कैमरे में आने की ललक और मासूम किसानों को बरगलाने में माहिर धंधेबाज 
   एनजीओ की वजह से देश आगे बढ़ना नहीं छोड़ सकता , देश आगे बढ़ेगा और 
   ज़रूर बढ़ेगा , आप को साथ आना है तो आओ नहीं तो आपकी मर्जी !!


अन्ना जी ,
किसानों के हितों से पटे पड़े नए भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी कहकर अपनी विश्वसनीयता मटियामेट मत कीजिये , या फिर इन बिन्दुओं को गलत सिद्ध कीजिये :-
1. क्या ये गलत है की नए कानून में किसानों को बाजार भाव से चार गुनी कीमत दी
    जाएगी जमीनों की ?
2. क्या ये गलत है की उपजाऊ जमीन अधिग्रहित करने की या नहीं करने की या
    उसकी सीमा तय करने की पूरी छूट राज्यों को दी गयी है ?
3. अधिग्रहित करने से पहले किसानों और ज़मीन मालिकों पर पड़ने वाले
    सामाजिक , पारिवारिक प्रभाव का विश्लेषण भी किया जायेगा , इसके लिए
    पंचायत के सदस्यों , प्रबुद्ध नागरिकों , विशेषज्ञों , मनोवैज्ञानिकों और समाज
   सेवकों की टीम बनायीं जाएगी और वे लोग तय करेंगे की यहाँ की ज़मीन
  अधिग्रहित करना रहवासियों के लिए फायदेमंद है या नहीं , क्या ये नियम
  किसान विरोधी है ?
4. एक मुश्त ज़मीने अधिग्रहित करने से पहले 80 % किसानों की सहमति ज़रूरी है , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
5. ज़मीन मालिक के अलावा उस पर निर्भर दूसरे लोग भी मुआवजे के हक़दार होंगें , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
6. पूरा पैसा मिलने के बाद ही ज़मीन से विस्थापन होगा , क्या ये नियम किसान
    विरोधी है ?
7. विवाद सुलझाने के लिए एक समिति गठित होगी जिसे प्रोजेक्ट के शुरू होने से
    पहले सारे विवाद निपटाने होंगे , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
=+==+==+==+==+===============
अब बात आती है मोदी सरकार के अध्यादेश की जिसमे उन्होंने तीन विषयों पर सहमती वाले नियम में ढील दी है और ये विषय हैं :-
1. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के हथियारों के उद्योग
2. ग्रामीण विद्युतीकरण के प्रोजेक्ट
3. बड़े पैमाने पर गरीबों के लिए सस्ते घर बनाने वाले प्रोजेक्ट
    इनमे से कौन सा विषय किसान विरोधी है ? अगर किसी को ऐसा लगता भी है
तो क्या किसान देश और उसके विकास से ऊपर हैं ? आज देश के लोगों की गाढ़ी
कमाई विदेशों से हथियार मंगवाने में खर्च होती है , कल हम भारत में ही
हथियार बनाना चाहेंगे और कोई विदेशी चंदे पर पलने वाला देशद्रोही युगपुरुष
पच्चीस किसानों को बहकाकर धरने पर बैठ गया तो देश का क्या होगा ? क्या
देश के विकास में बाधक बन सकने वाले और विदेशी शक्तियों के दुरूपयोग कर
सकने वाले नियम ढीले करना किसान विरोधी है ?
माफ़ कीजिये अन्ना जी , कभी डेम के सामने कभी न्यूक्लियर प्लांट के सामने
भारत विरोधी ताकतों के इशारों पर होने वाले ये धरने प्रदर्शन , चंद लोगों की
कैमरे में आने की ललक और मासूम किसानों को बरगलाने में माहिर धंधेबाज
एनजीओ की वजह से देश आगे बढ़ना नहीं छोड़ सकता , देश आगे बढ़ेगा और
ज़रूर बढ़ेगा , आप को साथ आना है तो आओ नहीं तो आपकी मर्जी !!

Saturday 21 February 2015

AAP Makes Delhi Peoples Beggar and AAP itself Begging  from Center Government to fulfill its Promises

Recently I came across many posts from AAP sympathisers asking why can't central govt. sanction Rs. 200 crore to Delhi for water subsidy while it can sanction Rs. 2000 crore for "Statue of Unity" (statue of Vallabhbhai Patel)
Here is my take on
this issue with my limited knowledge on the basic economics...

 
1. Rs. 200 crore AAP demanding is for mere subsidy and not for any water treatement projects or something like tat. The ROI (Return on Investment) is nothing. And also the subsidy has to be given every year. Its not a one time investment. Subsidy politics makes the people more vulnerable. One can't assure that government will be able to afford subsidy every year.
2. Where as 'Statue of Unity' is one time investment. Return on Investment is huge. Tourism in that area will increase many folds(Thiruvalluvar statue success in Kanyakumari is an example for it). Also because of this, many business will come up around that region based on the tourism. Infrastructure develops, hospitals, hotels, financial institutions, connectivity increases. Entrepreneurship skills among people develops. And i hope one understands the importance of tourism. There are many countries which runs only because of tourism industry. With huge potential for tourism in india, india is far far behind in tourism industry when compared to china. We have to take steps like that to catch up with china. With tourism international relationship increases.
3. This is from a political point of view. During election campaign Arvind Kejriwal dint even utter a word that he will ask center for these subsidies. Had he said that i dont think AAP could ve done so well. If suppose Center provides subsidy for Delhi, wont other states demand money for such subsidies? What is the economic principle of AAP?

 नीयत और औकात
PM मोदी के सूट की नीलामी पर अब जेड़ीयू ने किया कटाक्ष-'कपड़े का यह टुकड़ा ‘ऐतिहासिक’ है, संग्रहालय में रखा जाना चाहिए, इन सब से पर्यटन को बढावा मिलेगा
http://zeenews.india.com/…/now-jdu-takes-a-swipe-at-…/248651
 

मित्रों...एक होती है "औकात", और दूसरी होती है "नीयत"...
दोनों अच्छी भी होती हैं, बुरी भी होती हैं...

रोलेक्स घड़ियों को समेटकर ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री हों अथवा दिल्ली में सरकारी बँगलों पर कब्जे, बिजली-पानी-फोन के करोड़ों के बिल नहीं भरने वाले 81% सांसद काँग्रेस या दूसरी पार्टियों के हों... (इसे कहते हैं नीयत)...

जब प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति के रूप में मिले गिफ्ट को ट्रकों में भरकर ले जाती हैं, वह "औकात और नीयत" दोनों ही दर्शाता है... इसी प्रकार गुजरात में मोदी के बारह साल के शासनकाल में 95 करोड़ के गिफ्ट्स आते हैं...जो लड़कियों की शिक्षा हेतु संस्थाओं को दान कर दिए जाते हैं... ये औकात भी है, और नीयत भी.

 

अतः जब मोदी को कोई महंगा सूट गिफ्ट करता है तो यह देने वाले और पाने वाले की "औकात" दर्शाता है... फिर जब इसी सूट और अन्य गिफ्ट्स को गंगा सफाई के लिए नीलाम किया जाता है तो यह "नीयत" दर्शाता है...

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जिसे समझना है, वे समझ तो गए ही होंगे... फिर भी संक्षेप में कहूँ तो...

जब राशिद अल्वी कहते हैं कि सूट "अनलकी" था, इसलिए नीलाम किया गया... तो यह "नीयत" दर्शाता है... जबकि उन्हीं राशिद अल्वी से जब यह कहा जाता है कि आपके "अनलकी" राहुल बाबा को OLX पर भी कोई खरीदार नहीं मिलेगा... तब उसे "औकात" दिखाना कहते हैं...